लगातार दो माह तक जीएसटी रिटर्न नहीं भरने वाले कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दरअसल, वित्त मंत्रालय ने बताया कि रिटर्न नहीं भरने वाले कारोबारी 21 जून से माल के परिवहन के लिए ई-वे बिल नहीं निकाल सकेंगे. वहीं जीएसटी कम्पोजिशन स्कीम के तहत कंपनियां अगर लगातार दो बार (छह महीने) रिटर्न दाखिल नहीं करती हैं तो वे भी ई वे बिल नहीं निकाल पाएंगी.
इसके लिए जीएसटी नेटवर्क ने आईटी प्रणाली स्थापित की है. इस प्रणाली के तहत निर्धारित अवधि में रिटर्न नहीं दाखिल करने वाली कंपनियों के ई-वे बिल निकालने पर रोक लग जाएगी. अधिकारियों का मानना है कि इस कदम से जीएसटी चोरी रोकने में मदद मिलेगी. बता दें कि बीते वित्त वर्ष की अप्रैल-दिसंबर की अवधि में जीएसटी चोरी या उल्लंघन के 15,278 करोड़ रुपये के 3,626 मामले सामने आए हैं.
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने इस बारे में नोटिफिकेशन जारी कर 21 जून, 2019 की तिथि निर्धारित की है. इस नोटिफिकेशन के मुताबिक अगर जीएसटी नियमों के तहत इस अवधि में रिटर्न दाखिल नहीं किया गया तो माल भेजने वाला, माल पाने वाला, ई-कॉमर्स परिचालक और कूरियर एजेंसी पर इलेक्ट्रॉनिक वे या ई-बिल निकालने पर रोक होगी. नियमों के अनुसार कम्पोजिशन स्कीम वाले टैक्स पेयर अगर दो लगातार टैक्स अवधियों के दौरान रिटर्न दाखिल नहीं करेंगे या नियमित टैक्सपेयर लगातार दो माह तक रिटर्न जमा नहीं कराएंगे तो उनके ई-वे बिल निकालने पर रोक लग जाएगी.
वर्तमान में जीएसटी व्यवस्था के तहत कंपनियों को अगले महीने की 20 तारीख तक पिछले महीने का रिटर्न दाखिल करना होता है. वहीं कम्पोजिशन स्कीम का विकल्प चुनने वाले कारोबारियों को तिमाही के अंत के बाद अगले महीने की 18 तारीख तक रिटर्न दाखिल करना होता है.
ई-वे बिल प्रणाली में बदलाव किए
इसके अलावा वित्त मंत्रालय ने ई-वे बिल प्रणाली में भी बदलाव किए हैं. इन बदलावों में ई-वे बिल निकालने के लिए पिन कोड पर आधारित दूरी की ऑटो काउंटिंग और एक इनवॉयस पर एक से अधिक ई-वे बिल निकालने की प्रक्रिया को रोकना शामिल है. नई प्रणाली में पिन कोड के आधार पर स्रोत और गंतव्य की दूरी की ऑटो काउंटिंग होगी. प्रयोगकर्ता को माल के परिवहन के हिसाब से वास्तविक दूरी दर्ज करने की अनुमति होगी, लेकिन यह स्वत: निकाली गई दूरी से 10 फीसदी ही अधिक हो सकती है.
इसके अलावा सरकार ने एक इनवॉयस पर एक से अधिक बिल निकालने की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है. यानी एक ही इनवॉयस नंबर से कोई भी पक्ष चाहे माल भेजने वाला हो या पाने वाला या ट्रांसपोर्टर एक से अधिक बिल नहीं निकाल सकेगा. इस सुधरी प्रणाली में माल की आवाजाही के दौरान ई-वे बिल के विस्तार की अनुमति होगी.